आईएएस (भारतीय सिविल सेवा) बनने की कल्पना, पीसीएस (प्रादेशिक सिविल सेवा) होने का सुख। कुछ नहीं तो वकील या फिर मास्टर। सपने दर सपने। सपने सच होते हैं, टूट भी जाते हैं, मगर इन्हें देखने का क्रम नहीं टूटता। 20 से 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हिचकोले खाती दौडती रेल में सपनें कई हजार किलोमीटर प्रतिसेकेंड की चाल से दौडते हैं।
Wednesday, July 4, 2007
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